भारत सरकार का कर वसूली तंत्र शीघ्र ही बहुत अधिक उद्देश्य केन्द्रित होकर कार्य की शुरुआत करेगा। इसके साथ ही 5000 रुपये से कम आयकर बकाया की वसूली पर सरकार जोर नहीं देगी और उसे रिकॉर्ड से हटा दिया जायेगा। इसके परिणामस्वरूप कुल 1.9 करोड़ बकाया मांग घटकर एक तिहाई रह जाने की संभावना है। इस निर्णय के साथ आयकर विभाग के अधिकारी भी केवल महत्वपूर्ण वसूली पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे। आज देश के 1.20 करोड़ करदाताओं पर 5000 रुपये से कम कर राशि बकाया है और कुल बकाया कर राशि भी 1445 करोड़ रुपया है जो कुल बकाया मांग की 0.19 प्रतिशत है। सरकार की कुल 7.50 लाख करोड़ रुपये की कर राशि करदाताओं पर बकाया है जो मांग भुगतान हेतु देय नहीं है। उसको जोड़ दिया जाये तो कुल बकाया राशि 8.27 लाख करोड़ रुपया है। 5000 रुपये तक की बकाया कर राशि को रिकॉर्ड से हटा दिये जाने से फील्ड ऑफिस को भी चुनिंदा वसूली की ओर प्रेरित करने में सहयोग मिलेगा। ऐसे प्रकरणों में वसूली की लागत के मुकाबले वसूली अधिक होने की संभावना है। एक लाख रुपये से अधिक बकाया कर मांग 6.68 लाख करोड़ रुपया है जो कुल बकाया राशि का 89 प्रतिशत है। प्रशासनिक सुधारों के लिए गठित शोभ समिति ने भी ऐसी छोटी कर मांगों को रिकॉर्ड से हटाने का सुझाव दिया है। इस बकाया राशि में से बहुत अधिक बकाया राशि की वसूली कठिन है क्योंकि अनेक प्रकरणों में न्यायालय स्तर के स्थगन आदेश भी दिये गये हैं। इसके अलावा अनेक करदाताओं को तो ढूंढ़ पाना भी कठिन है।
अनेक करदाता कंपनियां दिवालिया भी हो गई हैं। इसे देखते हुए वार्षिक वसूली का लक्ष्य 50000 करोड़ रुपये तक घटाया जा सकता है। अधिकारियों को अपने स्तर पर भी छोटी-छोटी बकाया राशि को नई वसूलने के निर्णय का अधिकार दिया हुआ है। आयकर विभाग ने अपने उच्च अधिकारियों को कहा है कि वे फील्ड ऑफिसर्स का राईट ऑफ लक्ष्य निर्धारित करे। आयकर विभाग ने वर्ष के दौरान कुल 7.90 लाख करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया है जो पूर्व वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक होगा। यह विभाग करदाताओं के आधार को व्यापक बनाने पर विचार कर रहा है ताकि अधिक मात्रा में नागरिकों को कर के दायरे में लाया जा सके, इसके साथ ही स्रोत पर कर की कटौती के आधार को भी और व्यापक बनाने का लक्ष्य रखा गया है ताकि वसूली पर बहुत अधिक समय व शक्ति का उपयोग नहीं करना पड़े। कर विभाग ने सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि कर की चोरी को रोकने के लिए विस्तृत प्रावधानों का सहारा लिया जायेगा जिसमें शास्ति के साथ दंड का भी प्रावधान है। इसके अलावा फील्ड ऑफिसर्स से भी कहा गया है कि अनावश्यक कर निर्धारण कर अधिक भाग का सृजन नहीं किया जाये, पूर्व के चार वर्षों के दौरान प्रत्यक्ष कर आय की वृद्धि दर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के मुकाबले भी कम रही है। वर्ष 2008-09 से 2011-12 की अवधि बहुत ही कमजोर रही है। वर्ष 2013-14 के दौरान अवश्य ही वृद्धि दर 1.7 प्रतिशत रही थी।
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